world stroke day: स्ट्रोक विकलांगता का तीसरा मुख्य कारण

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जयपुर: स्ट्रोक, दुनियाभर में मृत्यु का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। यह एक तंत्रिका संबंधी बीमारी है, जिससे पीड़ित शारीरिक रूप से अक्षमता का सामना कर सकता है। दुनिया में विकलांगता का यह तीसरा मुख्य कारण है। खासकर भारत में स्ट्रोक के चलते जीवन भर विकलांगता से प्रभावितों की संख्या ज्यादा है, वहीं इससे होने वाली मृत्यु दर भी अधिक है।

जयपुर: स्ट्रोक, दुनियाभर में मृत्यु का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। यह एक तंत्रिका संबंधी बीमारी है, जिससे पीड़ित शारीरिक रूप से अक्षमता का सामना कर सकता है। दुनिया में विकलांगता का यह तीसरा मुख्य कारण है। खासकर भारत में स्ट्रोक के चलते जीवन भर विकलांगता से प्रभावितों की संख्या ज्यादा है, वहीं इससे होने वाली मृत्यु दर भी अधिक है।
हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। इसका उद्येश्य स्ट्रोक के रोकथाम, उपचार और स्ट्रोक से बचे लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। विश्व स्ट्रोक दिवस 2023 का विषय “ग्रेटर दैन स्ट्रोक” है।

एक आंकड़े के मुताबिक भारत में हर साल एक लाख की जनसंख्या में लगभग 108 से 172 लोग स्ट्रोक से प्रभावित होते हैं। यह आंकड़े जाहिर करते हैं कि सचमुच यह स्वास्थ्य के लिए कितना बड़ा खतरा है। न्यूरो इंटरवेंशनलिस्ट डॉ. मदन मोहन गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि स्ट्रोक के दौरान मष्तिष्क में क्या होता है। दरअसल, मष्तिष्क एक विशिष्ट अंग है जो सोच, स्मरण शक्ति, भावनाओं, स्पर्श, मोटर स्किल्स, दृष्टि, श्वास, तापमान, भूख और हमारे शरीर को नियंत्रित करने वाली सभी प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। जब मस्तिष्क तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने वाली रक्त वाहिका या तो थक्के के कारण रूक जाती है या फट जाती है, तब स्ट्रोक होता है।

स्ट्रोक होने पर रक्त प्रवाह उस क्षेत्र तक नहीं पहुंच पाता है, जो विशेष शारीरिक क्रिया को नियंत्रित करता है तो तब शरीर का वह हिस्सा उस तरह काम नहीं करता जैसा उसे करना चाहिए। जैसे, यदि स्ट्रोक मस्तिष्क के पिछले हिस्से में होता है, तो संभावना है कि दृष्टि को प्रभावित करेगा। स्ट्रोक का प्रभाव मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि अवरोध कहां है और मस्तिष्क के टिश्यू कितने प्रभावित हुए हैं। क्योंकि मस्तिष्क का एक हिस्सा शरीर के दूसरे हिस्से को नियंत्रित करता है, एक स्ट्रोक जो एक तरफ को प्रभावित करता है, उसके परिणामस्वरूप शरीर के प्रभावित हिस्से में तंत्रिका संबंधी परेशानी पैदा होंगी।

स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है, जिसमें कुछ विशेष बातों पर अमल करने की जरूरत है, जैसे, स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव और स्ट्रोक के जोखिम कारकों को नियंत्रित करने के लिए अपने डॉक्टर के साथ मिलकर 80 प्रतिशत तक स्ट्रोक को रोका जा सकता है। वहीं स्ट्रोक की रोकथाम के लिए धूम्रपान बंद करना सबसे छोटा और मुख्य कदम है। डॉ. मदन मोहन गुप्ता ने बताया कि कई अध्ययनों से पता चलता है कि यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन पांच सिगरेट पीता है, तो उसमें स्ट्रोक होने का खतरा 12 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह व्यापक रूप से समझा जाता है कि धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है, लेकिन कई लोगों को यह एहसास नहीं है कि यह मस्तिष्क और रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचाता है।

स्ट्रोक होने पर तुरंत कार्रवाई महत्वपूर्ण होती है। इसके लिए संक्षिप्त नाम “B.E.F.A.S.T” याद रखें।

बी- बैलेंस, ई-आईस, एफ-फेस, ए-आर्म, एस-स्पीच, टी-टाईम को दर्शाता है। अगर अचानक व्यक्ति में संतुलन की कमी हो रही हो, उसकी दृष्टि में बदलाव दिख रहा हो, या देखने में परेशानी हो, मुस्कुराने पर चेहरे का एक हिस्सा झुक रहा हो, हाथ ऊपर करने पर एक हाथ नीचे की ओर जाए, व्यक्ति की बात अजीब या अस्पष्ट प्रतीत हो तब बिना देर किए इनमें से कोई भी लक्षण देखने पर तुरंत आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें।

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